What you can do

सुसमाचार को ऑनलाइन बाँटना

आप क्या कर सकते है

आपकी कल्पना ही अकेली सीमा है कि आप कैसे इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते है मसीह का प्रचार करने के लिए। नीचे कुछ उदहारण है कि आप क्या कर सकते है। पवित्र आत्मा की अगुवाई की बाँट जोहे और एक इंटरनेट प्रचारक बने जिस भी रास्ते में प्रभु आपकी अगुवाई करता है।

१. अच्छे फेसबुक पेजो को, ट्वीटर खातों को, ब्लॉग को, वेबसाइटों को, आदि को 'लाइक' और फॉलो करे। वे आपको विश्वास में बढ़ने में मदद करेंगे और आपको ज्ञान और सामग्री प्रदान करेंगे जिसे आप विश्वासी और गैर-विश्वासी दोस्तों के साथ बाँट सकते है।

२. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करे: फेसबुक, ट्वीटर और इंस्टाग्राम का किसी अच्छी मसीही किताब जो आपने पढ़ी है उसके बारे में बताने के लिए। और क्यों नहीं आप यूट्यूब में समीक्षा दे?

३. एक यूट्यूब चैनल शुरू करे जहाँ आप अपनी गवाही बांटते है – परमेश्वर आपके लिए क्या अर्थ रखता है या यीशु ने आपके जीवन में क्या किया है – अपने विश्वास के बारे में प्रश्नो का उत्तर दे। गाना गाये अगर आप कर सकते है। (कभी यह न सोचे कि आपकी गवाही को एक असाधारण कहानी होना है जैसे मादक पदार्थो से छुटकारे की याकिसी कि जो मृत्यु से जिलाया गया हो। यीशु आपके लिए क्या अर्थ रखता है पर्याप्त है! जरूर आप शुरू कर सकते है वीडियो बांटकर जो और चीज़ों के बारे में और उसके बाद, अपना विश्वास बाँटे। उन चीज़ों से बचे जो आपकी गवाही को चोट पहुंचाए।)

४. अच्छी मसीही फ़िल्में, संगीत, सन्देश, आदि को अपलोड करे यूट्यूब, विमेओ और दूसरे मीडिया साइट्स पर। अच्छे वीडियो को जो वहां पहले से है 'लाइक' करे। इस तरह उन्हें व्यापक प्रसार तथा उच्चतर रेटिंग मिलती है। (सांप्रदायिक वीडियो से बचे जो शैतान के विषय की कल्पना या दूसरे मसीहो की आलोचना करते है। उन चीज़ो को महत्त्व दे जो मसीह की तरफ केंद्रित करती है, कैसे बचाये जाए और मसीह जीवन क्या है)

५. ट्वीटर खाता शुरू करे और बाइबिल के अंशो को बांटे जो आपके लिए कुछ मतलब रखते है। मसीही वेबसाइटो के लिंक बांटे और सकारत्मक चीज़ों की बात करे जो परमेश्वर ने हफ्ते के दौरान की है, कलीसिया में जो चीज़े चल रही है, आदि।

६. इंस्टाग्राम और फ्लिकर खाता शुरू करे जहाँ आप अपनी रचनात्मक क्षमता का इस्तेमाल कर सकते है। उन तस्वीरों को अपलोड करे जो दिखाते है कि आपकी कलीसिया/जवानो की सेवा में क्या चल रहा है, सुन्दर दृश्य, आपका परिवार/दोस्त या खुद की। उनको बाइबिल के पदो, गवाही और परमेश्वर के प्रति आपके आभार और प्रेम के साथ जोड़े।

७. एक ब्लॉग शुरू करे जहाँ आप अपने दैनिक जीवन और शौक के बारे में लिखते, पर अपनी व्यक्तिगत गवाही भी बांटते है। मसीही जीवन, आदि के बारे में लिखे।

८. अपनी कलीसिया या पास्टर के बारे में विकिपीडिया लेख लिखे या अपडेट करे। आप अपनी स्थानीय नगर पालिका के विकिपीडिया के पेज पर अपनी कलीसिया के काम के बारे में कुछ लिख सकते है। लिखने से पहले यह पक्का कर ले की आपके पास सही तथ्य है।

९. अमेजोन में मसीही किताबो और फिल्मो की समीक्षा लिखे। जब एक अच्छी मसीही किताब को समीक्षाएं मिलती है ज़्यादा लोग उसे खरीदेगे और पढ़ेंगे।

१०. अपने पास्टर, जवानो के अगुवे या अन्य मसीही अगुवे के अच्छे उद्धरण को अपनी पसंद के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बांटे।

११. विश्वास और सुसमाचार के शक्तिशाली और विचारशील पोस्ट को फिर से ट्वीट, लाइक, रिपोस्ट, आदि करे। ऐसा करने से पोस्ट को ज़्यादा दर्शक मिलेंगे और आपके दोस्तों तक परमेश्वर का वचन पहुंचेगा। शायद वह इच्छुक हो जाए और प्रश्न पूछने लगे जिनका उत्तर देने के लिए आप बेशक खुश होंगे।

१२. फेसबुक में जगह दर्ज कराये जब आप कलीसिया में, जवानो की सभा, आदि में है। इस तरह आप अपनी कलीसिया के बारे में सूचना फैलायेंगे और लोगों में जिज्ञासा को जगायेंगे।

१३. अपनी कलीसिया या दूसरी कलीसिया के बारे में गूगल मैप समीक्षा बनाये! www.maps.google.com में जाये और उस कलीसिया में अपने अनुभव के बारे में सकरात्मक चीज़ लिखे।

१४. उस फेसबुक विज्ञापन को दान दे जो हज़ारों के साथ सुसमाचार बांटता है। आल नेशंस एक मिशन संस्था है जो फेसबुक में सुसमाचार बांटती है। किसी विज्ञापन को प्रायोजक करने के लिए संपर्क करे info@allnations.se आप खुद विज्ञापन बना सकते है प्रभावी मसीही सामग्री को बढ़ावा देने के लिए। (नीचे सुझाव देखे) विज्ञापन कैसे बनाये से संबंधित सूचना के लिए आप जाए:

joshuaproject.net/resources/articles/facebook_and_the_unreached

१५. जब आप #हैशटैग# कुछ करते है वह फैलेगी और उसे ऊँची श्रेणी और ऑनलाइन अनावरण मिलेगा। सम्मेलनों, जवानो के कार्यकर्मो और अन्य कार्यकर्मो को टैग करे।

१६. इंटरनेट चैट फोरम, ब्लॉग, फेसबुक ग्रुप, आदि से भरा हुआ है। हालाँकि काफी फोरम मसीही नहीं है, काफी लोग आत्मिक चाहत के साथ यहाँ मिल सकते है। वार्तालापों में शामिल हो, अपनी गवाही बांटे और सुसमाचार प्रस्तुत करे। (उन लोगों से बहस करने से बचे जो सिर्फ विचार-विमर्श चाहते है! यह शायद ही कभी अच्छा फल लाते है। आखिरी शब्द बोलना सबसे अहम बात नहीं है। यीशु की तरफ इशारा प्रेम भरे स्वाभाव से है। अगर कोई विचार-विमर्श आक्रमक होने लगता है उसे ख़त्म करने का समय आ गया है। नहीं तो आपने जो बोया है उसे खोने के जोखिम में है। पवित्र आत्मा को आपकी अगुवाई करने दे। अगर आप अगुवाई महसूस करते है तो इच्छुक लोगों को नीचे दी गयी वेबसाइटो की तरफ इशारा दे। आपको निर्णय करना पड़ेगा कि क्या आप में आत्मिक परिपक्वता है कि आप किसी फोरम/ग्रुप में सुसमाचार बांटे। अगर यह दूसरो पर सकारात्मक प्रभाव से ज़्यादा आप पर नकरात्मक प्रभाव डालता है अच्छा होगा अगर आप हट जाए और किसी ज़्यादा परिपक्व और मजबूत विश्वासी को इस जगह पर केंद्रित करने दे।)

१७. कम्मेंट और लिंक करे ब्लॉग पोस्ट, यूट्यूब वीडियो, ट्वीटर, गूगल+ आदि। (हमेशा कृपालु और प्रेममय स्वर बनाये रखे हर चीज़ पर जो आप कहते और करते है। आप देखना चाहे और कम्मेंट करना चाहे उन पोस्ट पर जो परमेश्वर, यीशु, पवित्र आत्मा, धर्म, सत्य, परिवार, आभारीपन, अनुग्रह, माफ़ी, जीवन के मकसद, प्रेम, मृत्यु के बाद जीवन, स्वर्ग, नरक, बाइबिल, आत्मिकता, आदि के बारे में है।)

१८. इंटरनेट प्रचारक बने उस संस्था में जिसका मिशन क्षेत्र इंटरनेट है। स्वयंसेवक के नाते आप विश्वास से सम्बंधित प्रश्नो का उत्तर दे सकते हैं और लोगो को मसीही जीवन में लाने में मदद कर सकते है। (और जानकारी के लिए जाए: globalmediaoutreach.org)

१९. याहू आनसर्स में मसीही विश्वास से सम्बंधित प्रश्नो का उत्तर दे।

२०. वेबसाइट बनाये। उसे विश्वास के बारे में होना ज़रूरी नहीं है। बल्कि उसके विपरीत। बेहतर होगा की साइट हो आपके किसी एक शौक के बारे में – मोटरसाइकिल, एक्वेरियम मछली, पकाने, व्यायाम, आदि की। इस तरह आपको दर्शक मिलेंगे जो वरना पूर्णता मसीही साइट में इच्छुक न होते। क्योँकि मसीह आपके जीवन का सबसे अहम व्यक्ति है आप के लिए स्वाभाविक होगा कि आप बांटे कि आपके दैनिक जीवन में परमेश्वर का आपके लिए क्या अर्थ है, और उसने आप के लिए क्या क्या किया है, आदि।

२१. फेसबुक इवेंट बनाये और लोगों को कलीसिया, या सभा, आदि के विशेष कार्यकर्मो में निमंत्रित करे।

This site is a ministry of All Nations, Sweden.

We are an evangelical mission organisation focusing on mission mobilisation and the least reached people groups.

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